"BRICS समिट के लिये PM मोदी का रूस दौरा : "PM मोदी और चिनी राष्ट्रपती जिनपिंग कर सकते हे की मुलाकात

BRICS समिट 2024 की प्रमुख घटना मानी जा रही  है जो पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस में इस दो दिवसीय (22 23 अक्टूबर )  महत्वपूर्ण सम्मेलन में शामिल होने के लिये   रूस के कजाक शहर पहुचने वाले  हैं  जहां वह विभिन्न देशों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। खासकर, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी संभावित मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर है। यह समिट न केवल आर्थिक और वैश्विक मामलों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और चीन के बीच के संबंधों को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है। आज कजाक शहर मे 28 देशों नेता जुडने की उम्मीद हे. ईरान और चीन फिलीस्तीन के अलावा आर्मेनिया अजरबैजान भी सामील होंगे

BRICS समिट

PM Narendra Modi/Xi Jinping ( China ) photo

BRICS समिट का महत्त्व

BRICS समूह (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) वैश्विक स्तर पर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इस समूह के देशों के पास दुनिया की लगभग 40% जनसंख्या और 25% वैश्विक जीडीपी है। BRICS का उद्देश्य इन देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। 2024 का BRICS समिट विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया भर में बदलती वैश्विक राजनीति और आर्थिक परिस्थिति के बीच यह सम्मेलन होने जा  रहा है।

BRICS के सदस्य देशों के साथ मे किसको मिला निमंत्रण

रूस (मेजबान), ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया, भारत, ईरान, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, अल्जीरिया, आर्मेनिया, अजरबैजान, बहरीन, बेलारूस, बोलीविया कांगो, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लाओस, मलेशिया, मॉरिटानिया, मेक्सिको, मंगोलिया, मोरक्को, निकारागुआ, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, थाईलैंड,टर्की, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, वेनेजुएला, वियतनाम, सर्बिया, फिलिस्तीन

भारत और रूस के संबंध

भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा है कि पीएम मोदी कजान में BRICS सदस्य देशों के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे यह सहयोग रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में विशेष रूप से दिखाई देता है।

 इस BRICS समिट के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग को और भी मजबूत किया जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां नए अवसर उभर रहे भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा है कि पीएम मोदी कजान में BRICS सदस्य देशों के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे यह सहयोग रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में विशेष रूप से दिखाई देता है। इस  समिट के दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग को और भी मजबूत किया जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां नए अवसर उभर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इन संबंधों को और गहरा करने का अवसर प्रदान करने वाली हे । रूस, जो दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादकों में से एक है, भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। साथ ही, रक्षा सहयोग में भी भारत और रूस के बीच गहरे संबंध हैं, और यह चर्चा का प्रमुख मुद्दा रहेगा।

चीन और भारत के बीच संबंधों की चुनौती

भारत और चीन के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं। आपको बता दे क‍ि एक दिन पहले ही भारत ओेर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual control) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौते पर पहुंच गये हैं. कथित तौर पर यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है. इस जानकारी बताया जा रहा हे  के सामने आने के बाद ही पीएम मोदी और शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता की उम्मीद और बढ़ गई है । हालाँकि, वैश्विक मंच पर दोनों देश BRICS जैसे समूहों में साथ काम करते हैं। इस समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात दोनों देशों के बीच इस तनाव को कम करने के लिये हो सकती है।

 प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच अगर मुलाकात होती है, तो यह भारत-चीन संबंधों में एक नई दिशा प्रदान कर सकती है। अर्थव्यवस्था में दोनों देशों की बढ़ती भूमिका को देखते हुए, यह जरूरी है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधारें जाएं ताकि वे एक मजबूत साझेदारी बना सकें।

वैश्विक राजनीति पर BRICS का प्रभाव

जेसे कि  BRICS समिट का  राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है। यह समूह उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो विकसित देशों द्वारा अक्सर अनदेखे किए जाते हैं। जैसे कि विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता, वैश्विक व्यापार नीति में बदलाव, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर BRICS की भूमिका को बढ़ावा देना हे । 2024 का BRICS समिट इन मुद्दों पर अधिक गहराई से चर्चा करने का मंच बनने जा रहा हे , खासकर जब दुनिया कई  संकटों का सामना कर रही है।

BRICS देशों के बीच आर्थिक सहयोग और संयुक्त रणनीति तैयार करना इस BRICS  समिट का मुख्य उद्देश्य होगा। यह समूह भविष्य में वैश्विक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। समिट में व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा और आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होगी।

 

भारत की भूमिका

बताया जा रहा हे क‍ि भारत के  प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी की इस समिट में भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और सशक्त बनाना चाहता है। भारत का उद्देश्य न केवल अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा करना है, बल्कि वैश्विक मंच पर विकासशील देशों की आवाज को भी मजबूती से उठाना है। BRICS समिट में भारत की भूमिका इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समूह विकासशील देशों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाता है, जिसमें भारत का नेतृत्व आवश्यक है।भारत केप्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी की नीति स्पष्ट रूप से यह बताती है कि भारत सिर्फ एक बड़े बाजार के रूप में नहीं, बल्कि एक मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरना चाहता है। भारत का उद्देश्य BRICS के माध्यम से दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना है, जिससे उभरते हुए बाजारों को वैश्विक स्तर पर एक नया स्थान मिल सके।

निष्कर्ष

जेसे कि BRICS समिट 2024 एक ऐसा स्थाप है जहां दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं एकजुट होकर वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करती हैं।भारत के  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी संभावित मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें खडी  हैं। यह BRICS समिट न केवल आर्थिक और राजनीतिक मामलों में, बल्कि भारत के वैश्विक कद को और मजबूत करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा हे ।

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